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Monday 3 February 2014

विटामिन डीः जो न रोगी को फ़ायदा देती है न सेहतमंद को

आमतौर पर चिकित्सक हड्डी संबंधी बीमारियों के इलाज में और एहतियात के तौर पर विटामिन डी की गोलियां लेने का परामर्श देते हैं.
लेकिन एक शोध में पाया गया है कि सेहतमंद वयस्कों में बीमारी के ख़तरों से विटामिन डी की गोलियों का कोई ख़ास असर नहीं होता.
अग्रणी मेडिकल जर्नल क्लिक करेंलांसेट में प्रकाशित शोध के अनुसार, तक़रीबन 100 परीक्षणों में पाया गया है कि इन गोलियों से किसी भी स्वास्थ्य संबंधी ख़तरे में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं हुई. बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों समेत तमाम 'ख़तरे वाले' समूहों को अभी भी विटामिन डी को पूरक आहार के रूप में लेने की सलाह दी जाती है. न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं की इस टीम ने पहले भी इन परीक्षणों का मेटा-एनालसिस किया था जिससे पता चला था कि 'बोन मिनिरल डेंसिटी' पर विटामिन डी का कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता.

मामूली असर

शोधकर्ताओं ने पाया कि हृदय रोग, हृदयाघात या सेरेब्रोवैस्कुलर रोग, कैंसर और हड्डियों के टूटने के सापेक्षिक खतरे में विटामिन डी का बहुत मामूली (15 प्रतिशत) प्रभाव पड़ता है. अस्पताल में भर्ती मरीजों में विटामिन डी कूल्हे संबंधी बीमारियों के ख़तरे को 15 फ़ीसदी से ज़्यादा कम नहीं कर पाता. कैल्शियम के साथ भी इसका प्रयोग एक स्वस्थ व्यक्ति में ख़तरे को कम नहीं कर पाता है. शोध के अनुसार, इस बात पर पर्याप्त संदेह बरक़रार है कि कैल्शियम समेत या इसके बिना विटामिन डी का प्रयोग मृत्यु के ख़तरे को कम करता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, ''हमारे निष्कर्षों के मुताबिक मांसपेशियों और हृदय संबंधी बीमारियों, कैंसर, फ्रैक्टर या मृत्यु के ख़तरे को कम करने में विटामिन डी का परामर्श देने को बहुत सही नहीं ठहराया जा सकता है.'' स्वीडन के उपसाला विश्व विद्यालय में सर्जिकल विभाग से जुड़े कार्ल माइकल्सन के अनुसार अभी भी इस बात पर विवाद है कि विटामिन डी की कमी की स्थिति में इसकी गोलियां लाभप्रद हैं या नहीं.

बरतें एहतियात

वे कहते हैं, ''आमतौर पर यह धारणा है कि विटामिन डी का प्रमुख स्रोत धूप है और इसकी थोड़ी खुराक लेने से सेहत में सुधार होगा लेकिन यह अभी बहुत स्पष्ट नहीं है कि ऐसा ही होता है.'' उन्होंने कहा कि जबतक और अधिक सूचना नहीं आ जाती है, यह ज़्यादा ठीक होगा कि स्वस्थ लोगों को संभल कर विटामिन डी की गोलियां लेनी चाहिए. हालांकि कुछ न्यूट्रिशन विशेषज्ञों का कहना है कि विटामिन डी की कमी कई रोगों के लिए ज़िम्मेदार है जैसे कि फ्रैक्चर, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और मृत्यु का ख़तरा आदि. जबकि कुछ विशेषज्ञों का का कहना है कि विटामिन डी की कमी ख़राब सेहत का परिणाम है न कि इसका कारण. रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ में न्यूट्रिशन कमेटी के चेयरमैन और पीडियाट्रिक्स के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. कोलिन मीशि ने कहते हैं कि इस अध्ययन ने विटामिन डी सप्लीमेंट्स को बहस में ला दिया है. उनके अनुसार, ''यह दिखाता है कि विटामिन डी की भूमिका तो है लेकिन यह उतनी महत्वपूर्ण नहीं है. चिकित्सकों को हरेक औसत सेहतमंद व्यक्ति के रक्त जांच के लिए हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए.'' कोलिन के अनुसार, "इसके बावजूद पुरानी सलाह अभी भी सच है. ज़्यादा मछली खाइए, अपनी खुराक और जीवनशैली पर ध्यान दीजिए. बशर्ते कि आपको कोई ख़ास ख़तरा न हो."

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